इन दिनों
कहने को दोस्तों के मेले हैं,
पर इन दिनों वाकई हम अकेले हैं.
क्या बताएं क्यों प्यार होता नहीं हमसे
ज़िन्दगी में और भी तो झमेले हैं
तेरे हर दांव की है मुझको खबर,
खेल ये मैंने भी बहुत खेले हैं.
न जाने किस बात पर घंटों रोये
वैसे तो हँसते हुए ज़ख्म झेले हैं
तू क्यों फिक्र करता है मेरे ग़म की,
दुःख दर्द तो बरसों से मेरे चेले हैं
Jaanu - Ye Dari Eduraina
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*ఏదారెదురైనా*
ఏదారెదురైనా ఎటువెళుతుందో అడిగానా
ఏంతోచని పరుగై ప్రవహిస్తూ పోతున్నా
ఏం చూస్తూ ఉన్నా నే వెతికానా ఏదైనా
ఊరికినే చుట్టూ ఏవేవో కనిపిస్తూ ఉన్నా
కదల...
4 years ago
5 comments:
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
true true true 1oo percent true yaar
good frenz are just seeming like a mirage
and why arent you at my blog, i want you there pronto ok ;)
take care and keep writing.......
enti nuvve raasava leka copy paste aa?
@ thousif : thanx for the comment :)
@ swats : nope i mentioned in the previous post,its written by my friend vaibhav,whose an awesome poet :)
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